मुंबई के पवई में RA Studio से बंधक बनाए गए 17 बच्चों का रेस्क्यू, आरोपी रोहित आर्य एनकाउंटर में ढेर




मुंबई के पवई इलाके में गुरुवार को हलचल तब मच गई जब आरए स्टूडियो से बच्चों के चीखने की आवाजें बाहर आईं और बच्चे शीशे से मदद की गुहार लगाते दिखे. दरअसल, रोहित आर्य नाम के शख्स ने वहां ऑडिशन देने आए 17 बच्चों समेत 19 लोगों को बंधक बना लिया था. करीब दो घंटे तक मुंबई पुलिस उसे समझाने की कोशिश करती रही, लेकिन वह किसी भी सूरत में मानने को तैयार नहीं था.


कैसे शुरू हुआ पूरा मामला

दोपहर 12 बजे रोहित आर्या आर ए स्टूडियो पहुंचा.

12:30 बजे तक कई बच्चे ऑडिशन के लिए हॉल में आ चुके थे.

1 बजे रोहित ने दरवाजे अंदर से बंद कर लिए और सभी बच्चों को बंधक बना लिया.

1:15 बजे बच्चों ने शीशे से मदद के लिए चिल्लाना शुरू किया.

1:30 बजे पुलिस मौके पर पहुंची और बातचीत शुरू की.


रोहित ने पुलिस की बात नहीं मानी

करीब दो घंटे तक मुंबई पुलिस के सीनियर अधिकारी रोहित से बात करते रहे. उन्होंने उसे भरोसा दिलाया कि 'जो भी तुम्हारी शिकायत है, हम सुनेंगे, बस बच्चों को छोड़ दो.' लेकिन सूत्रों की मानें तो रोहित बार-बार कहता रहा, 'अगर मेरी बातें नहीं मानी गईं, तो मैं इन सभी बच्चों को जिंदा जला दूंगा.'

फायर ब्रिगेड की मदद से शुरू हुआ ऑपरेशन

करीब 3.30 बजे पुलिस ने फायर ब्रिगेड को बुलाया.

3:45 पर मुंबई फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची और सुरक्षा उपकरणों के साथ मोर्चा संभाला.

3:50 बजे फायर ब्रिगेड ने बाथरूम की खिड़की तोड़ी, जिससे पुलिस को स्टूडियो के अंदर प्रवेश का रास्ता मिला.


मुंबई पुलिस की क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) के तीन अधिकारी खिड़की से अंदर घुसे.

जैसे ही पुलिस अंदर दाखिल हुई, रोहित आर्य ने एयरगन तानकर फायर किया. पुलिस को लगा कि उसने असली बंदूक से गोली चलाई है. बचाव में एक इंस्पेक्टर ने अपनी रिवॉल्वर से जवाबी गोली चलाई. जो रोहित के सीने में जाकर लगी.
10 मिनट में खत्म हुआ ऑपरेशन

4:00 बजे गोली लगने के बाद रोहित जमीन पर गिर पड़ा.

4:10 बजे पुलिस ने उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

4:30 बजे सभी 17 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.


क्यों था गुस्से में रोहित आर्य?

पुराने रिकॉर्ड बताते हैं कि रोहित आर्य ने महाराष्ट्र सरकार पर उसकी कॉन्सेप्ट और फिल्म चुराने का आरोप लगाया था. उसका कहना था कि ‘माझी शाला, सुंदर शाला’ प्रोजेक्ट उसकी ही सोच और फिल्म 'Let’s Change' पर आधारित था. सरकार ने उसे न तो क्रेडिट दिया, न ही 2 करोड़ रुपये की बकाया रकम.


अनशन पर भी बैठा था रोहित

रोहित का आरोप था कि सरकार ने उसका आइडिया, स्क्रिप्ट और फिल्म के अधिकार (rights) तक इस्तेमाल किए, लेकिन न तो उसे क्रेडिट दिया गया, न भुगतान किया गया. उसके मुताबिक, 'उन्होंने मुझसे काम करवा लिया और फिर मेरी मौजूदगी तक नकार दी.'

इसको लेकर रोहित ने कई बार शिक्षा विभाग और तत्कालीन मंत्री दीपक केसरकर के खिलाफ प्रदर्शन किए, यहां तक कि एक महीने तक अनशन भी किया. पुरानी रिपोर्ट्स के अनुसार, मंत्री ने आश्वासन दिया था कि उसकी मांगें मानी जाएंगी, लेकिन जॉइंट सेक्रेटरी महाजन ने जांच का हवाला देकर फाइल रोक दी.

रोहित ने पहले यहां तक कहा था, 'अगर मुझे इंसाफ नहीं मिला, तो मेरी मौत के जिम्मेदार तत्कालीन शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर, मंगेश शिंदे, सुरज मंडरे, तुषार महाजन और समीर सावंत होंगे.'


एयरगन और केमिकल बरामद

इस मानसिक दबाव के चलते ही वह पिछले कुछ महीनों से डिप्रेशन में बताया जा रहा था. पुलिस के मुताबिक, रोहित के पास से एयरगन और कुछ केमिकल पदार्थ बरामद किए गए. ऑपरेशन के दौरान रोहित को गोली लगी, जिसके बाद उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसने दम तोड़ दिया.

हर गेट पर लगाए थे सेंसर

जानकारी के मुताबिक बच्चों को बंधक बनाकर रखने वाले रोहित आर्य ने सभी खिड़कियों पर और दरवाजों पर सेंसर लगाए थे. कहीं से पुलिस अंदर आने की कोशिश ना करे, इसलिए उसने हर जगह मोशन डिटेकटर सेंसर लगाए थे. इतना ही नहीं सीसीटीवी के सारे एंगल उसने एक ही तरफ मोड़ दिए थे ताकि किसी को सीसीटीवी से कुछ पता ना चले. बाथरूम के रास्ते से जब पुलिस अंदर गई और रोहित को गोली लगी उसके बाद पुलिस ने इन सेंसर को देखा और उसे डीएक्टिवेट किया.


अब जांच में क्या हो रहा है

मुंबई पुलिस ने एनकाउंटर की जांच के आदेश दे दिए हैं. पुलिस यह भी जांच कर रही है कि रोहित आर्य ऑडिशन के नाम पर बच्चों को कैसे बुला पाया, और एयरगन जैसी हथियारनुमा वस्तु स्टूडियो में कैसे ले गया. फायर ब्रिगेड के मुताबिक, 'हमने सिर्फ एक्सेस दिलाया, पुलिस को अंदर जाने में मदद की. बाकी ऑपरेशन पूरी तरह मुंबई पुलिस का था.'

रोहित ने जारी किया वीडियो

किडनैपिंग के बीच, रोहित का एक वीडियो संदेश सामने आया, जिसमें उसने खुद को इस पूरी घटना के पीछे का व्यक्ति बताया. वीडियो में रोहित ने कहा कि यह सब उसने एक प्लान के तहत किया है और उसकी कोई बड़ी वित्तीय मांग नहीं है. उसका दावा था कि उसकी मांगें नैतिकता से जुड़ी हैं. उसने खुद को आतंकवादी न बताते हुए कहा कि वह केवल सवाल पूछना और उनके जवाब पाना चाहता है.


रोहित आर्य मूल रूप से पुणे का रहने वाला था. उसे महाराष्ट्र के तत्कालीन शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के कार्यकाल के दौरान शिक्षा विभाग के एक स्कूल प्रोजेक्ट का टेंडर मिला था. हालांकि, रोहित का कहना था कि उसे इस प्रोजेक्ट का भुगतान अब तक नहीं किया गया, जिसके चलते वह आर्थिक संकट और मानसिक तनाव में चल रहा था.

रोहित आर्य चेम्बूर की अन्नपूर्णा इमारत की 9वीं मंजिल पर रहता था. दरअसल रोहित के किसी रिश्तेदार का ये रूम है जो पिछले 4 साल से अमेरिका में रहते हैं, आज सुबह करीब 9 बजे रोहित यहां से निकला था. पुलिस जांच के लिए वहां भी पहुंची.

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