*ॲड. सोनिया गजभिये के प्रयासों को सफलता*
नागपुर दि. 25/6: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के आदेश के अनुसार राज्य सरकार ने अब 24 सप्ताह से अधिक के वैद्यकीय गर्भपात के लिए स्टॅण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) को मंजूरी दे दी है, राज्य सरकार ने पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट को यह सूचित किया था। पीड़िता की ओर से दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग और अन्य सभी संबंधित विभागों को एसओपी नहीं भेजी है। इसलिए हाईकोर्ट ने सरकारी वकील से पूछा कि जब राज्य सरकार ने 3 जून को एसओपी जारी कर दी थी, तो अब तक इस एसओपी को लागू क्यों नही किया जा रहा है? हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि, एसओपी को पुलिस विभाग, विभागीय आयुक्त कार्यालय, सभी स्वास्थ्य विभाग, सरकारी अस्पतालों, जिल्हा विधी सेवा प्राधिकरण सहित सभी संबंधित विभागों को भेजा जाए। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 16 जुलाई तक जवाब दाखिल करने के आदेश दिये। इस मामले में न्यायमूर्ती नितिन सांबरे और न्यायमूर्ती अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई।
युवतीने 26 सप्ताह और 6 दिन के भ्रूण को नष्ट करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने इस याचिका को जनहित याचिका में बदलने का आदेश हाईकोर्ट रजिस्ट्रार को दिया। साथ ही राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को 20 से 24 सप्ताह से अधिक के भ्रूण को नष्ट करने के लिए एक स्टॅण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार करने के आदेश दिए। इसके मुताबिक राज्य सरकार ने एक एसओपी तैयार की है जिसके तहत 24 सप्ताह से अधिक के वैद्यकीय गर्भपात को मंजूरी दी है।
इस बीच युवती को शादी का प्रलोभन देकर गर्भवती करने के मामले में हाईकोर्टने मेडिकल बोर्ड सहित डीन और जिला स्वास्थ्य अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का आदेश दिये थे। सावनेर की एक 22 वर्षीय युवती का डब्ल्यूसीएल के एक कर्मचारी युवक के साथ अफेयर था। युवक ने उसे शादी का झांसा दिया और शारीरिक संबंध बनाए, जिससे युवती गर्भवती हो गयी। 9 जून 2024 को उसकी जांच की गई और वह 26 सप्ताह की गर्भवती पाई गई। फिर्यादी लड़की ने भ्रूण को नष्ट करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
मेडिकल बोर्ड ने युवती को गर्भपात की इजाजत दे दी है, इसलिए हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए सभी संबंधित विभागों को तुरंत एसओपी भेजने का आदेश दिया। युवती की ओर से ॲड. सोनिया गजभिये, राज्य सरकार से ॲड. देवेन्द्र चव्हाण, ॲड. आशीष कडुकर और केंद्र सरकार की ओर से ॲड. नंदेश देशपांडे ने मामले की पैरवी की ।
*उच्च न्यायालय का आदेश:*
सरकारी अस्पतालों सहित सभी संबंधित विभागों को तत्काल एसपीओ जारी करें।
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