Monkeypox Alert: अफ्रीकी देशों के बाद अब भारत में संक्रमण की दस्तक, विशेषज्ञों की चेतावनी- इसे हल्के में न लें


 देश में मंकीपॉक्स का संक्रमण दस्तक दे चुका है, अब तक दो लोगों में केस की पुष्टि हो चुकी है। भारत में इस वायरस के मिलने से चिंता बढ़ गई है। कोरोना वायरस के कहर के साथ-साथ अब मंकीपॉक्स वायरस तेजी से दुनिया में अपने पैर पसार रहा है।


विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अब तक दुनिया के 75 देशों में इसके 11634 से अधिक पुष्ट मामले सामने आ चुके हैं। इसी तरह 1,500 संदिग्ध मामलों पर नजर रखी जा रही है। यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करता है तो इसे कोरोना महामारी के समान पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा माना जाएगा और इसके उपचार के लिए विशेष प्रयास और योजनाएं तैयार की जाएगी।


मंकीपॉक्स वायरस ने दुनियाभर के चिकित्सा विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है। इस बीच कुछ विशेषज्ञों ने इसकी गंभीरता को देखते हुए इसका बिना भेदभाव और बिना स्टिग्मा वाला नाम रखने की मांग की है। इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसका नाम बदलने पर विचार शुरू कर दिया है और इस बीमारी को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने के लिए आपातकालीन समिति का गठन किया है।


जूनोटिक बीमारी है मंकीपॉक्स


मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है .जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है। ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं।


साल 1958 में रिसर्च के लिए तैयार की गईं बंदरों की बस्तियों में यह वायरस सामने आया था और इससे चिकनपॉक्स जैसी बीमारी होना पाया गया था।

मंकीपॉक्स का संक्रमण और लक्षण


मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। ये वायरस त्वचा में घाव, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से इसका प्रसार होता है। इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं।


शुरुआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं। मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर फ्लू जैसी बीमारी और लिम्फ नोड्स की सूजन से शुरू होती हैं, फिर चेहरे और शरीर पर दाने पड़ने लगतें हैं। अधिकांश संक्रमण 2-4 सप्ताह तक रहता है।


मंकीपॉक्स संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट इलाज नहीं है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, चेचक, खसरा, बैक्टीरियल स्किन इंफेक्शन, खुजली, और दवाओं से होने वाली एलर्जी मंकीपॉक्स से अलग होती है। साथ ही मंकीपॉक्स में लिंफ नोड्स में सूजन होती है, जबकि चेचक में ऐसा नहीं होता है।

अफ्रीकी देशों में देखा जाता रहा है मंकीपॉक्स


मंकीपॉक्स को कई मध्य और पश्चिमी अफ्रीकी देशों जैसे कैमरून, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कोटे डी आइवर, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, गैबन, लाइबेरिया, नाइजीरिया, कांगो गणराज्य और सिएरा लियोन में स्थानिक बीमारी के रूप में सूचित किया जाता रहा है। हालांकि, अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ऑस्ट्रिया, इज़राइल और स्विटजरलैंड जैसे कुछ देशों में भी इसके मामले सामने आए हैं। भारत में दो लोगों में इसकी पहचान की गई है।


 केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि वह विकसित हो रही स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए है। मंकीपॉक्स से सबसे ज्यादा प्रभावित देश ब्रिटेन है। डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस ने चेतावनी देते हुए कहा था कि गैर-स्थानिक देशों में बढ़ते मंकीपॉक्स के मामले वास्तविक खतरा है

मंकीपॉक्स को लेकर भारत में बढ़ी निगरानी 


दुनिया भर के कई देशों में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच अब भारत सरकार ने भी इसे लेकर गाइडलाइन जारी कर दिया है। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने गाइडलाइन जारी कर डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस यूनिट्स को इस तरह के मामलों को गंभीरता से लेने और इसके इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के तहत जांच शुरू करने के निर्देश दिए हैं।


स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने गाइडलाइन में कहा है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की 21 दिनों तक निगरानी की जाएगी। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अगर किसी में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते हैं तो टेस्टिंग के बाद ही इसे कंफर्म माना जाएगा।

 

त्वरित कदम उठाने की जरूरत 


विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि 75 से ज्यादा देशों में मंकीपॉक्स के बढ़ते प्रकोप पर करीबी नजर रखी जानी चाहिए, लेकिन फिलहाल इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति घोषित करने की जरूरत नहीं है। इस प्रकोप के कई पहलू ‘‘असामान्य’’ हैं। हालांकि डब्लूएचओ ने प्रकोप की ‘‘आपातकालीन प्रकृति’’ की तरफ इशारा किया है और कहा है कि इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए ‘‘तेजी से कदम उठाने’’ की जरूरत है। डब्लूएचओ के अनुसार अगर कुछ नए घटनाक्रम सामने आते हैं-जैसे कि यौनकर्मियों के बीच प्रसार, अन्य देशों में या उन देशों में संक्रमण का फैलना, जहां पहले से ही मंकीपॉक्स के मामले हैं, मामलों की गंभीरता में वृद्धि या प्रसार की बढ़ती दर तो वह फिर से स्थिति का मूल्यांकन करेंगे। 


विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दुनिया के देशों को मंकीपॉक्स को फैलने से रोकने के लिए त्वरित कदम उठाने चाहिए और अपने टीके के भंडार के बारे में डेटा साझा करना चाहिए। चिंता की बात यह है कि यह अधिकतर उन देशों में फैल रहा है, जहां अब तक यह बीमारी आमतौर पर नहीं पाई गई थी। मंकीपॉक्स बच्चों पर भी हमला कर सकता है और उनमें लक्षणों की पहचान करना भी मुश्किल हो सकता है क्योंकि शुरुआती लक्षण चेचक या चिकन पॉक्स के समान होते हैं।

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