जौनपुर में समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. पूर्व विधायक ओम प्रकाश दुबे उर्फ बाबा दुबे ने पार्टी छोड़ दी है. उनके पार्टी छोड़ने से जौनपुर और पूर्वांचल के अधिकांश जनपदों में सपा को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. सपा को वर्तमान लोकसभा चुनाव ही नहीं बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए भी यह एक बड़ा झटका साबित होगा.बताया जाता है कि लोकसभा का टिकट नहीं मिलने को लेकर बाबा दुबे में नाराजगी थी. इस कारण उन्होंने सपा से इस्तीफा दे दिया. बता दें कि 2009 में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार रहते बाबा दुबे ने बसपा से नाता तोड़कर और सपा का दामन थामा था. दरअसल 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बदलापुर विधानसभा से बाबा दुबे पर दांव लगाया था और उन्होंने जीत दर्ज की थी. हालांकि इसी क्षेत्र के बरौली गांव के मूल निवासी ओमप्रकाश उर्फ बाबा दुबे साल 2017 में सपा के टिकट पर उन्हें हार मिली थी.
"समाजवादी पार्टी को हो सकता है नुकसान"
सूत्रों के अनुसार बाबा दुबे ने सपा छोड़ने का मन पहले ही बना लिया था. वहीं उनके पार्टी छोड़ने से जौनपुर और पूर्वांचल के अधिकांश जनपदों में समाजवादी पार्टी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.सपा को वर्तमान लोकसभा चुनाव ही नहीं बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए भी यह बड़ा झटका साबित होगा.
बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ नाराजगी
क्षेत्र में चर्चा ये भी है कि सपा को बाबू सिंह कुशवाहा को जौनपुर में प्रत्याशी बनाकर थोपना बहुत भारी पड़ा है. बाबू सिंह कुशवाहा के ऊपर दर्जनों भ्रष्टाचार और आपराधिक मुकदमे सहित उनकी जेल यात्रा केंद्र में कांग्रेस और राज्य की अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार के रहते हुई थी. बेल पर बाहर बाबू सिंह कुशवाहा को आज उन्हीं दोनों पार्टियों ने इंडी गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में उतारने से जिले में काफ़ी जन आक्रोश है.
"विधायक रहते बाबा दुबे ने बनाई अपनी अलग पहचान"
विधायक (2012-2017) रहते बाबा दुबे ने बदलापुर विधानसभा की पूरे प्रदेश में न्यूनतम अपराध दर और भ्रष्टाचार मुक्त वाले प्रगतिशील विधानसभा की पहचान बनाई थी. बाबा दुबे ने वाराणसी में आयोजित प्रेस वार्ता में अपने 75000 से ज़्यादा सदस्यों वाले बाबा मित्र परिषद परिवार, क्षेत्र, समर्थकों और शुभचिंतकों के इच्छा अनुरूप निर्भीक, स्वच्छ और बेदाग राजनीति पूरी ताकत के साथ आगे भी करते रहने की बात कही है.
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