Droupadi Murmu: द्रौपदी मुर्मू ने यशवंत सिन्हा को हराया, देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति होंगी

 


  • द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति होंगी
  • 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग हुई थी
Draupadi Murmu Wins Presidential Election: द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को बड़े अंतर से हराया है. वह देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति होंगी. तीसरे राउंड के वोटों की गिनती में ही द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया. अभी एक और राउंड के वोटों की गिनती बाकी है.

कुल तीनों राउंड की बात करें तो कुल वोट 3219 थे. इनकी वैल्यू 8,38,839 थी. इसमें से द्रौपदी मुर्मू को 2161 वोट (वैल्यू 5,77,777) मिले. वहीं यशवंत सिन्हा को 1058 वोट (वैल्यू 2,61,062) मिले.

राउंड दर राउंड यूं जीतती गईं द्रौपदी मुर्मू

द्रौपदी मुर्मू पहले राउंड से ही यशवंत सिन्हा से आगे थीं. पहले राउंड में सांसदों के वोट गिने गये थे. पहले राउंड में द्रौपदी मुर्मू ने 3,78,000 की वैल्यू के साथ 540 वोट हासिल किए थे. वहीं यशवंत सिन्हा ने 1,45,600 की वैल्यू के साथ 208 वोट हासिल किए थे. पहले राउंड में कुल 15 वोट अवैध थे.

फिर दूसरे राउंड में 10 राज्यों के वोटों की गिनती हुई. इसमें कुल वैध मत 1138 थे, जिनकी कुल वैल्यू 1,49,575 थी. इसमें से द्रौपदी मुर्मू को 809 वोट मिले, जिनकी वैल्यू 1,05,299 और यशवंत सिन्हा को 329 वोट मिले, जिनकी वैल्यू 44,276 थी.

तीसरे राउंड के वोटों की गिनती के बाद साफ हो गया कि द्रौपदी मुर्मू देश की अगली राष्ट्रपति होंगी. तीसरे राउंड के वोटों की गिनती की बात करें तो इसमें कुल वोट 1,333 थे. जिनकी वैल्यू 1,65,664 थी. इसमें से मुर्मू को 812 वोट मिले. वहीं यशवंत सिन्हा को 521 वोट मिले.

ओडिशा में हुआ था द्रौपदी मुर्मू का जन्म

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 1958 में ओडिशा के मयूरभंज में हुआ था. 1979 में उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी कॉलेज से बीए की पढ़ाई की थी. फिर 1997 में वह राजनीति में उतरीं और बीजेपी में शामिल हो गईं. इसी साल वह पार्षद बनीं. फिर 2000 में वह रायरंगपुर से विधायक चुनी गईं. उसी साल उनको ओडिशा की राज्य सरकार में मंत्री बनाया गया. विधायक के तौर पर उन्होंने अच्छा काम किया था. इसलिए 2009 में वह दोबारा विधायक चुनी गईं. इसके बाद 2015-2021 तक वह झारखंड की राज्यपाल रहीं. 

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