उत्तरभारतीयों से मनसे का कोई विवाद नहीं- बाला नांदगांवकर

उत्तरभारतीयों से मनसे का कोई विवाद नहीं- बाला नांदगांवकर
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वागीश सारस्वत के जन्मोत्सव समारोह में बोले मनसे नेता
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वागीश के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित पुस्तक "वागीशोदय" का लोकार्पण सम्पन्न
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मुंबई। "अच्छे और सच्चे रिश्ते न खरीदें जा सकते हैं ना उधार लिए जा सकते हैं" ये विचार सुप्रसिद्ध जुझारू राजनेता एवं महाराष्ट्र शासन के पूर्व गृह राज्य मंत्री बाला नांदगांवकर ने प्रसिद्ध पत्रकार व राजनेता डॉ. वागीश सारस्वत के जन्मदिन पर आयोजित समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमारा उत्तर भारतीयों से न तो कोई विवाद है और न ही कोई विरोध है। लेकिन मीडिया के मित्रों ने ऐसा चित्र बना दिया है कि मनसे का नाम सुनते ही लोग उत्तरभारतीय विरोधी की छवि देखने लगते हैं। मनसे नेता ने कहा कि जब हम दूसरों को महत्व देंगे तभी वे भी हमें महत्व देंगे। जो पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं, वे यहीं के हैं लेकिन जो पीढ़ियों से रह रहे हैं उनकी सुविधाओं में कमी ना हो, बस हम यही चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वागीश सारस्वत और मैं एकदूसरे के संघर्ष काल से अब तक की जीवन यात्रा के साक्षी रहे हैं हैं। वे जैसे दिखाई देते हैं वैसे ही वास्तव में है इसके बावजूद मैं वागीश के बहुमुखी व्यक्तित्व के इतने पहलुओं से परिचित नहीं था जितना उनके बारे में मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे जानते हैं। बाला नांदगांवकर के मुताबिक हर समाज और आयु वर्ग के लोग वागीश से प्यार करते हैं। 
साहित्यिक संस्था "श्रुति संवाद साहित्य कला अकादमी" एवं "यश पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स प्रा. लि." (दिल्ली) के संयुक्त तत्वावधान में सांताक्रुज पूर्व, मुम्बई के नजमा हेपतुल्ला हाल में आयोजित इस समारोह में बाला नांदगांवकर ने वागीश सारस्वत पर केंद्रित, प्रिया उपाध्याय द्वारा संपादित विशेष रूप से प्रकाशित पुस्तक "वागिशोदय"और नामदार राही के संपादन में प्रकाशित पत्रिका "हरित जीवन" के "वागीशांक " का लोकार्पण भी किया। आत्मकथ्य में डॉ वागीश सारस्वत ने कहा कि मुंबई ने मुझे संघर्ष के दिनों से लेकर आज तक बहुत दिया है । मैं मनसे के अध्यक्ष राज ठाकरे जी का आभारी हूं जिन्होंने संकट के समय मुझे समय-समय पर बहुत आत्मीयता से साथ दिया। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता से राजनीति में लाकर मेरा जीवन बदल दिया। महानगर मुंबई में साथियों ने बहुत प्यार और स्नेह दिया जिसे भुलाना मुश्किल है। वरिष्ठ पत्रकार और कला समीक्षक मनमोहन सरल ने कहा कि वागीश में कला ,साहित्य, संस्कृति ,पत्रकारिता के सभी रंगों का मेल है और वे सब में दक्ष है। "तरुण भारत" के स्थानीय संपादक श्री नरेंद्र कोठेकर, गुजराती के पत्रकार आशु पटेल ने वागीश के संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा कि वे जीवट और जिंदादिल इंसान हैं। स्वागत श्रुति संवाद के अध्यक्ष एवं गीतकार अरविंद शर्मा राही और यश पब्लिशर्स के राहुल भारद्वाज ने तथा संचालन डॉ अनंत श्रीमाली ने किया ।प्रारंभ में दीप प्रज्वलन छोटी सी बालिका हर्षिता शर्मा ने और विशु ने सरस्वती वंदना का पाठ किया। इस मौके पर वागीश सारस्वत की कविताओं का पाठ अभिनेत्री कवयित्री रेखा बब्बल, मंजुल भारद्वाज, विनिता टंडन यादव, ज्योति त्रिपाठी ,रवि यादव आदि ने किया। इस अवसर पर लखनऊ से आई चित्रकार शीला शर्मा , अभिनेता मनुज भास्कर, मनीषा रेगे, मंच संचालक सुभाष काबरा, व्यंग्यकार घनश्याम अग्रवाल शायर हस्तीमल हस्ती,मदनपाल, गीतकार रासबिहारी पांडे ,सुधाकर तांबोली, सागर त्रिपाठी, पत्रकार अमिताभ श्रीवास्तव , विनोद गुप्ता , कर्ण हिंदुस्तानी ,किरण रावल ,चंदन यादव, आभा बोधिसत्व, नारायण चौहान, संतोष सिंह, शीला शर्मा,गोपाल शर्मा ,अवनींद्र आशुतोष आदि ने डॉ वागीश सारस्वत के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विचार रखे । संयोजक अमर त्रिपाठी ने आभार माना। खचाखच भरे सभागार में संध्या पांडे ,डॉ जेपी बघेल ,पवन अग्रवाल , सुधीर शर्मा, मुकेश अग्रवाल, संगीतकार सुधाकर स्नेह , पत्रकार विजय सिंह कौशिक आदि लेखक, पत्रकार साहित्यकार व गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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