सेना मतलब सेवा है,, देश की सीमाओं की और समाज की भी !!! पैसा इसमें गौण है पर वर्दी की खनक शानदार है !!!

#Military Reform :-

जब मैं सर्विस में था तो अक्सर अपने मित्र मंडली में बैठकर चिल्लाया करता था की भारत को मिलिट्री रिफार्म और पुलिस रिफॉर्म की सख्त आवश्यकता है, क्योंकि यह समय की मांग थी !!! 
बाहर से जो दिखता है वैसा होता नहीं है।




सेना मतलब सेवा है,, देश की सीमाओं की और समाज की भी !!! पैसा इसमें गौण है पर वर्दी की खनक शानदार है !!!

अपना बीस वर्ष का अनुभव यही कहता है की "अग्निवीर" एक बेहतरीन योजना है,, अब युद्ध के पैमाने बदल चुके हैं,, टेक्नोलॉजी आधारित युद्ध है ना की संख्या आधारित !!! 
टीवी डिबेट में कारगिल कारगिल चिल्लाते बहुतों को सुना होगा,, पर कारगिल में कितने सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए पता है ?? संख्याबल काम नहीं आया कारगिल में, जबतक की वायूसेना के विमान मिराज ने बमवर्षा नहीं की पाकिस्तानी बंकरो पर,,, तब एक स्थिति बनी और हमारी सेना वहां पहुंच पाई !!! हाल ही में पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक हुई,, संख्या बल का क्या कोई महत्व था ???



आप थोड़ा यूक्रेन रशिया युद्ध को भी नजदीक से देखने की कोशिश करें,, तीन महीनों में दोनों ओर के उतने सैनिक वीरगति को नहीं प्राप्त हुए, जितना 18 दिन के कारगिल युद्ध में हमारे जवान वीरगति को प्राप्त हुए !!! 
आज का युद्ध पूर्णतः टेक्नोलॉजी आधारित है।


जब कंम्पयूटर (IMMOLS) आया सर्विस में तो बहुत ही परेशानी हुई हमें,, हम हाथों से प्रिंटेड वाउचर को कार्बन लगाकर चार कांपी में बनाने के माहिर थे,,, कलम चाहे दिन भर चलवा लो पर कम्प्यूटर फूटी आंखों से नहीं सुहाता था,, समय पर ना सीखने के कारण कई बार वार्निंग लेटर भी मिला पर चार पांच साल की नौकरी बची थी तो यह सोचकर कोई क्या कर लेगा मेरा, यदि न भी सीखा तो सर्विस से कोई निकाल भी नहीं सकता नहीं इस बात के लिए !!! हालांकि बाद में अपनी इच्छा से सीख भी लिया था !!!



अब काम की बात,, सेना का यंग होना और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ चलना बहुत ही आवश्यक है,, आज बहुत से सैनिकों को आर्मी, नेवी, एयरफोर्स अपने कंधों पर बोझ की तरह ढो रही है,, लोवर मेडिकल केटेगिरी की समस्या,, कुछ सड़क एक्सीडेंट में अंग-भंग, अंगुली या अंग गंवाने वाले,,, कुछ परिवार, गांव की दर्द भरी कहानी सुनाकर सीओ साहब की चमचागिरी कर फौज में मस्त रहने वाले,,, कुछ सुबह शाम दारु पी कर हुल्लडवीर बन घूमते रहना और अपने काम को जूनियर के ऊपर थोप देना,,, कुछ पागल की ऐक्टिंग कर अस्पतालों में बेड तोड़ने वाले,,, कोई बिना बात पर सीनियर से लड़ाई झगड़ा कर कानून मंत्री बने सैनिक,,, कुछ बिना मतलब यानी खांसी भी आ गई तो बेस हास्पिटल, यूनिट हास्पिटल, कमांड हास्पिटल का महीने के 10 दिन चक्कर काटने वाले और स्वयं का ना भी हो पत्नी और बच्चों के नाम पर भी आफिस से दिनभर गायब रहने वाले,,, कोई Emergency काम के समय sick report कर के आराम फरमाने वाले,,, कुछ DASI/CASI inspection के समय छुट्टी काटने वाले,,, कुछ PT/Parede में पीछे खडे होकर ज्ञान बांटने वाले,,, कभी गल्ती से ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट देर शाम को लैंड हो गया और पता लग गया तो बैरक से निकल भागने वाले,,, कि लोडिंग ओफलोडिंग ना करना पड़े और भी बहुत तरह तरह के फंडे आजमाएं जाते हैं ताकि काम के नाम पर रो गा कर,, बहाने बना कर,, एक्सक्यूज मांग कर आराम फरमाया जाए,,, चाहे साहब के जूते भी चाटना पड़े तो कोई ग़म नहीं !!!
एक सिस्टम में बहुत वर्ष तक गुजरने पर सैनिक भी कर्मवीर की जगह उठाऊवीर और ढीठ बन जाता है और उसी में मजे लेने लगता है क्योंकि उसे पता है।
बने रहो पगला, काम करेगा अगला,,
बने रहो लुल्ल, सैलरी पाओ फुल,,
काम से डरो नहीं, और काम को करो नहीं,,
काम करो या ना करो, पर काम की फ़िक्र जरुर करो,,
फ़िक्र करो या मत करो, पर साहब से जिक्र जरुर करो !!!




ऐसे लोग जानते हैं कि पेंशन पक गई है और उचित रैंक भी मिल गई है,, फिर कौन मेरा क्या उखाड़ लेगा ??? बस दारु पीओ, घूमो फिरो, बतौलाबाजी और मौज के साथ हां सर, जी सर करते रहो !!! और यदि कुछ होगा तो केस कर दूंगा डिफेंस ट्रिब्यूनल में !!! अधिकारी भी पचड़ा में फंसना नहीं चाहते हैं जबतक मामला बहुत सीरियस नेचर का ना हो !!! छोटी मोटी घटनाओं के लिए बना लो चार्जशीट !!! दे दो पनिशमेंट !!! अरे प्रमोशन नहीं मिलेगा पर इंक्रीमेंट तो कोई नहीं रोक सकता है ???

तो सच में ऐसे लोगों को सेना झेल रही है ऊंची सैलरी देकर और प्रोडक्टिविटी शून्य,, साथ ही साथ रिटायरमेंट के बाद शानदार पेंशन,, फिर यदि मृत्यु हो गई तो फैमली पेंशन !!!
 
आपको समझना होगा सेना के अंदर के सिस्टम को तब आप बिल्कुल सहमत हो जाएंगे की "अग्निवीर" सरकार की शानदार योजना है,, सिविल में जो लोग समझते हैं सैनिक यानी Physical fitness will be excellent 😀 तो आप बहुत ग़लत है। It may be intact on initial engagement or may be sustained few years of service.,, वैसे कहानियां तो बहुत है पर समझदारों को इशारा ही काफी है।


हां सलाह के तौर पर "अग्निवीर" इंट्री को चार की जगह पांच साल किया जाना चाहिए।
और जब 40 वर्ष की अवस्था में रिटायरमेंट के बाद हम बेहतरीन तकनीकी कालेज के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बन सकते हैं तो "अग्निवीर" क्यों नहीं ???
आज आप किसी बैंक में जाइए, या सेवा के किसी अन्य सेक्टर में, दो/तीन पूर्व सैनिक आपको कार्यरत मिल ही जाएगा !!!


Defence Reform से मेरा मतलब केवल सैनिकों से ही कभी नहीं रहा है बल्कि अधिकारियों की भी गुणवत्ता, प्रतिबद्धता और जवाबदेही को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए !!! कमी वहां भी बहुत है !!!

"मेहनत करे मुर्गी और फकीर खाए अंडा" AVSM, PVSM, VSM, SM केवल अधिकारियों को ही क्यों ??? ऐसा नहीं चलेगा !!!

अंततः सक्षम नौजवानों से विनम्र अनुरोध है टूलकिट / कोचिंग सेंटर संचालक और टटपुंजिये नेता के बहकावे में आकर "हुड़दंगवीर" ना बनें बल्कि सरकार की दूरगामी योजना का स्वागत करते हुए "अग्निवीर" बन राष्ट्रसेवा की तैयारी में लग जाएं !!!

Post a Comment

0 Comments